Wednesday, April 28, 2010

चंचल मन

ये कहानी एक आठवी कक्षा मे पढ़ने वाले छात्र की हैं। जो मन ही मन अपनी ही कक्षा मे पढ़ने वाली एक लड़की से प्यार करने लगा पर वो यह समझ नही पा रहा था कि उसे क्या हो गया हैं। वो उस लड़की से कुछ न कह पाता था न ही उससे कभी उसने प्यार का इज़हार किया। उसने कई बार अपने दोस्तों से इस बारे मे बात की लेकिन हमेशा ही निराशा हाथ लगी। उस लड़के और लड़की मे दोस्ती तो पहले से ही थी। फिर फ़ोन पर बातों का सिलसिला शुरू हो गया। उस लड़के का एक बहुत अच्छा दोस्त था जो उसके बारे मे सब जानता था। इस लड़के को यह नही पता था कि यही दोस्त आगे चलकर उसी को धोख़ा देगा। समय बितता गया। दोनों के बीच बातों का दौर वक्त के साथ कम होता चला गया। वो लड़का ये समझ नही पा रहा था कि क्या बात हैं। कुछ समय बाद इसे यह पता चला कि उस लड़की का प्रेम प्रसंग उसी के दोस्त के साथ चल रहा हैं। हैरानी की बात तो यह थी कि वो लड़की इस लड़के को अपना भाई मानती थी और इसी के कहने पर उसने उस लड़के से बात करनी बंद कर दी थी। फिर अचानक एक दिन लड़की ने उस लड़के को फ़ोन किया तो वो हैरान रह गया कि लगभग एक साल के बाद उस लड़की ने फ़ोन किया। बात हुई तो लड़का बीच मे ही भावुक हो गया और उसने फ़ोन काट दिया। तब से उन दोनों के बीच दूरिया और बढ़ गई। अब बस एक दूसरे के बर्थ डे पर ही उनकी बात होती हैं। बीच मे ये भी पता चला की दोनों का ब्रेकअप हो चुका है लेकिन फिर भी उस लड़के ने बात आगे नही बढ़ाई। अब तक शायद वो लड़की भी ये समझ चुकी थी कि ये लड़का उससे प्यार करता हैं पर उसने भी आगे कोई बात नही की। क्योकि वो इस बात से शर्मिंदा थी कि किसी और के कहने पर उसने उस लड़के से सारे रिश्ते तोड़ दिए थे।

2 comments:

  1. wakai yar bacpan ka pyar lajawab hota hai. us samay na to kise cheej ki lalch hoti hai na hi koi dar.

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