Saturday, September 3, 2011
मीडिया क्या है ये?
मैंने अपने करियर का एक साल मीडिया से जोड़ कर देखा। लेकिन इस एक साल में मैंने वो सब देखने और समझने की कोशिश की जिसके जवाब अक्सर हमें मीडिया के दिग्गज हमारी कक्षा में अलग-अलग ढंग से दिया करते थे। लेकिन जितना समझा उतना ही इसकी गहराइयों में उतरता गया। लेकिन आज तक मैं कुछ सवालों के जवाब नहीं ढूंढ़ पाया। उदाहरण के लिए कि कुछ लोग अपने वरिष्ठ अधिकारियों की इतनी चम्मचागिरी क्यों करते है? जिसे देख कर लगता है कि क्या कोई इंसान इतना गिर सकता है कि उसे अपने आत्मसम्मान का ही ख्याल न रहे। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई में जितना देखा, सुना और पढ़ा वो सब यहां आकर खत्म सा होता दिखाई दे रहा है। हमारे कुछ शिक्षकों ने जो हमें बताया और सिखाया था मानो ऐसा लगता है उन्होनें केवल हमें भ्रमित किया था। जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है। जो सोच कर मैं और मेरे कुछ साथी इस क्षेत्र से जुड़े थे उस सोच को यहां बैठे दिग्गजों ने खत्म कर दी है या फिर कहे कि हमारा नजरिया ही बदल दिया है। यहां पर आपके अंदर काबलियत नहीं देखी जाती बल्कि ये देखा जाता है कि आप मक्खन कितना अच्छा लगाना जानते है। अब मुझे ऐसा लगने लगा है कि शायद मैं और मेरे कुछ दोस्त इस क्षेत्र के लिए बने है। मैं अपने दोस्तों के बार में तो नहीं कहूंगा हां अपने बार में जरूर कहूंगा कि बहुत जल्द मैं इस क्षेत्र को छोड़ दूंगा। क्योंकि आज तक जो हमने सीखा, पढ़ा उसे देखते हुए मुझे नहीं लगता कि मैं आगे इस क्षेत्र में सफल हो पाउंगा। हां इस क्षेत्र से जुड़ी कुछ खट्टी-मिठ्ठी यादे जरूर मेरे जहन में रहेंगी।
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